भाग्य बहादुर का साथ देता है
भाग्य बहादुर का साथ
देता है
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जीवन में सबसे बड़ी ऊंचाइयां उन लोगों को
प्राप्त होती हैं जिनके पास इसे पाने की हिम्मत होती
है। सफलता एक मुफ्त उपहार
नहीं होती है की जिसे
हम बस चाहे और
ये हमारे गोद में आकर गिर जाये। उसे पाने के लिए हमे
कड़ी मेहनत करनी चाहिए और रास्ते में
आने वाले सारे खतरों का सामना करना
और उसे पार करने के लिए पर्याप्त
साहसी भी होना चाहिए।
एक आदमी, जो
अपने जीवन में सफल होना चाहता है, उसे सबसे पहले अपना लक्ष्य तय करना चाहिए
कि वह किस तरह
से अपने जीवन में सफल होना चाहता है। क्योंकि, सफलता एक तरह से
नहीं बल्कि कई तरह से
आती है। कोई सफल डॉक्टर बनना चाहता है तो कोई
प्रसिद्ध गायक बनना चाहता है या फिर
कोई सफल व्यवसायी बनना चाहता है। लेकिन जीवन के हर क्षेत्र
में व्यक्ति को अपने लक्ष्य
को प्राप्त करने के लिए भरपूर
प्रयास करनी चाहिए।
इसलिए एक बार जब
कोई व्यक्ति अपने जीवन में सफल होने के लिए दृढ़
संकल्पित हो जाता है,
तो दुनिया की कोई भी
चीज उसे अपनी मेहनत और प्रयासों को
करने में रोक नहीं सकती है। उनका दृढ़ निश्चय ही उन्हें किसी
भी बाधा को दूर करने
के लिए खुद को आत्मविश्वासी और
साहसी बनाने में मदद करता है।
साहस का मतलब डर का ख़तम होना नहीं होता
है। बल्कि साहसी लोग भी डर महसूस करते हैं, लेकिन वे अपने डर को प्रबंधित करने और दूर
करने में सक्षम होते हैं। वे अक्सर यह सुनिश्चित करने के लिए भय का उपयोग करते हैं
कि वे अति आत्मविश्वास में नहीं हैं और वे उचित काम कर रहे हैं। इस प्रकार भाग्य बहादुर
और साहसी लोगों का साथ देता है।
ईश्वर जीवन देता है और मनुष्य को इसे
जीना है। चूंकि यह दुनिया चुनौतियों और भय से भरी है, इसलिए जो अपने जीवन में बहादुरी
दिखाता है तक़दीर उनका साथ देता है। एक सरल उदाहरण, कलाकारों को अपने प्रदर्शन के समय
मंच पर डर का सामना करना पड़ता है और अगर वे उस समय अपनी बहादुरी नहीं दिखाएंगे, तो
उनका भाग्य उन पर अपनी कृपा नहीं बरसाएगा। इसी तरह एक गायक को दर्शकों का सामना करने
के लिए अपनी बहादुरी दिखानी पड़ती है, एक शिक्षक को अपने छात्रों द्वारा लगाए जा रहे
सवालों का सामना करने के लिए अपनी हिम्मत दिखानी पड़ता है, एक राजनेता को लोगों का सामना
करने के लिए काफी साहसिक होना पड़ता है और एक
व्यापारी को जोखिम लेने की ताकत रखनी पड़ती है। इस
तरह से भाग्य उन लोगों का पक्षधर होता है जिनके पास साहस है और जो जोखिम उठा
सकते हैं।
कई महान व्यक्तित्वों के उदाहरण हैं,
जिन पर भाग्य ने अपना ख़ास कृपा बनाये रखा क्यों की वे अपनी साहसिक भावनाओं से अपनी
सभी बाधाओं से अकेले ही लड़ाई की। अब्राहम लिंकन इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। उन्होंने
जिस निडरता से अपनी नकमियाबी का सामना किया और उसे जिस तरीके से संभाला वही उन्हें
एक दिन अमेरिका का राष्ट्रपति बना दिया। वह 1831 में व्यापार में असफल रहे, 1832 में
विधायकी चुनाव में पराजित हुये, 1833 में फिर से व्यापार में विफल रहे, 1836 में एक
तंत्रिका अवरोध का सामना करना पड़ा और क्रमशः 1836 और 1840 में एक वक्ता और एक निर्वाचक
के रूप में हार गये। वह 1843 और 1848 में कांग्रेस में एक सीट के लिए पराजित हुए और
1855 और 1858 में फिर से सीनेट में हार गए। अंत में 1860 में उन्हें राष्ट्रपति के
रूप में चुना गया।असफलताओं को दूर करने की अपनी क्षमता के कारण, भाग्य ने उन्हें 'राष्ट्रपति'
का प्रतिष्ठित खिताब दिया। इससे हमे यह सिखने को मिला की अगर हम अपने असफलताओं को दूर
करने की क्षमता रखते हैं और उनका सामना बड़े ही सहस और निडरता के साथ करते हैं तो भाग्य
हमारा साथ देता है।
महात्मा गांधी जी के शब्दों में,
"ताकत शारीरिक क्षमता से नहीं आती है बल्कि यह एक अदम्य इच्छा शक्ति से आता है।"
गांधीजी ने तभी ही साहस दिखा दिया था जब उन्होंने भारत को स्वतंत्र करने का निर्णय
ले लिया था, भले ही वह इस बात को अच्छे से जानते थे कि वो इस निर्णय के वजह से ब्रिटिश
के द्वारा मारे जा सकते हैं। लेकिन उन्होंने इसकी परवाह नहीं की। यह उनका साहस, असाधारण
इच्छाशक्ति एवं दृढ़ संकल्प था कि वो किसी भी हथियार का उपयोग किए बिना भारत को ब्रिटिश
शासकों के चंगुल से मुक्त करायेंगे।
जीवन भाग्य से संचालित होता है और हम
अपने भाग्य के निर्माता हैं। भाग्य चाहे जितना भी शक्तिशाली क्यों न हो, समय चाहे कितना
भी प्रतिकूल क्यों न हो, यह केवल वह व्यक्ति है जो उपरोक्त सभी पर शासन कर सकता है।
अरुणिमा सिन्हा इसका एक आदर्श उदाहरण हैं। वह एक राष्ट्रीय स्तर की वॉलीबॉल खिलाड़ी
है जिनका सामना एक ट्रैन दुर्घटना से हुआ था। वह ट्रैन में जाते समय उनके बैग और सोने
की चैन को खींचने के प्रयास में कुछ अपराधियों ने अरुणिमा को चलते ट्रैन से बाहर फेंक
दिया था, जिसके कारण वह अपना एक पैर गंवा बैठी थी। आशा खोने के बजाय, उन्होंने खुद
को समझाया और अकल्पनीय हासिल करने के लिए अपनी विकलांगता से भी ऊपर उठ गई। वहां अस्पताल
के बिस्तर पर लेटकर ही उन्होंने माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने का फैसला किया। मई 2013 में,
वो माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली पहली महिला विकलांग भारतीय महिला होने का रिकार्ड अपने
नाम कर लिया था। उनकी इस सफलता के लिए उन्हें भारत का चौथा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार
पद्म श्री मिला है। वह मानती है कि भाग्य उन लोगों का पक्षधर होता है जिनके पास जीतने
का दृढ़ संकल्प होता है। उन्होंने दुनिया को यह साबित कर के दिखा दिया कि पैर पहाड़ों
पर चढ़ने में मदद जरूर करती हैं, लेकिन वास्तव में एक दिल, एक बहादुर दिल की ज्यादा
जरूरत होती है सफलता पाने में ।
भाग्य उनका पक्षधर होता है जिनका दिमाग
पहले से तैयार रहता है। यह भारत की पहली महिला IPS अधिकारी किरण बेदी के मामले में
सच है, जिन्होंने अपनी नौकरी को सफल बनाने के लिए कई साहसी कार्य किए हैं। एक बार उन्होंने
कार पार्किंग के नियमों का उल्लंघन करने पर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जी
के कार को उठा लिया था। 90 के दशक में उन्हें तिहाड़ जेल में स्थानांतरित किया गया
था, जिसे भारत की सबसे कुख्यात जेल के रूप में जाना जाता था, वहां उन्होंने अकेले ही
साक्षरता और ध्यान कार्यक्रमों की शुरुआत करके जेल को एक शांति प्रिय आश्रम में स्थानांतरित
कर दिया था। उनकी इसी साहसिक कार्य के वजह से उन्हें मैग्सेसे पुरस्कार दिया गया। उन्होंने
पंजाब अलगाववादी आंदोलन में भी अकेले ही काम किया था और अकेले ही तलवार धारी सिख आतंकवादियों
से लड़ाई की थी। उनके साहस और सफल कार्यसिद्धि ने कई महिलाओं को प्रभावित और प्रेरित
किया है जिसके वजह से आज हम महिलाओं को पुलिस बलों में देख सकते हैं।
ठीक ही कहा गया है कि परिश्रम सौभाग्य
की जननी है। अच्युत सामंत, KIIT और KISS विश्वविद्यालय के संस्थापक, केवल अपने दृढ़
संकल्प, दृढ़ इच्छा शक्ति और निस्वार्थ समर्पण से उन्होंने अपना भाग्य बना दिया। उनका
जन्म एक गरीब के परिवार में हुआ था। प्रतिकूलताओं पर विजय पाने के उनके दृढ़ संकल्प
ने उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। सभी बाधाओं के खिलाफ उन्होंने न केवल प्रथम
श्रेणी में M.Sc पास किया, बल्कि अपने अंतिम परिणाम के प्रकाशन से पहले ही कॉलेज के
अध्यापक की नौकरी भी प्राप्त कर ली। वह इस नौकरी में अपेक्षाकृत एक आरामदायक जीवन जी
सकते थे लेकिन उनकी अलग योजना थी। उन्होंने हमेशा एक ऐसे समाज का सपना देखा है जहां
गरीबी के कारण जीवन में कुछ भी हासिल न कर पाने के वजह से कोई भी कभी हताशा से नहीं
रोएगा। इसलिए उन्होंने 1992 में कलिंग इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी (केआईआईटी)
का स्थापित किया, जो देश के बेहतरीन विश्वविद्यालयों में से एक बन गया है। उनका दृढ़
विश्वास था कि शिक्षा के माध्यम से सशक्तीकरण द्वारा भूख, कुपोषण और संसाधनों के उपयोग
की अज्ञानता को सफलतापूर्वक निपटा जा सकता है। उनका दृढ़ विश्वास है कि निरक्षरता गरीबी
को पैदा करती है और साक्षरता गरीबी को दूर करती है और इसी धारणा के वजह से उन्होंने
1993 में कलिंग इंस्टीट्यूट ऑफ़ सोशल साइंसेज (केआईऐसऐस) की स्थापना की थी। आज यह दुनिया
में आदिवासी बच्चों के लिए सबसे बड़े मुफ्त आवासीय संस्थान में विकसित हो गया है। हाल
ही में इसे डीम्ड यूनिवर्सिटी घोषित किया गया है जो दुनिया का पहला आदिवासी विश्वविद्यालय
बन गया। उनकी जबरदस्त इच्छा शक्ति और आत्मविश्वास के कारण ही उनका जीवन दरिद्रता से
समृद्धि में बदल गया।
तो यह स्पष्ट है कि सफलता की प्रतियोगिता
में केवल बहादुर व्यक्ति ही जीत सकते हैं। उन्हें भाग्य का साथ मिलता है। वे उनके रास्ते
में आने वाले किसी भी जोखिम और विफलताओं की परवाह नहीं करते हैं। वे केवल अपना कर्तव्य
करते हैं और दृढ़ निश्चय और पूरी एकाग्रता के साथ काम करते हैं। वे चमत्कार होने की
प्रतीक्षा नहीं करते हैं, बल्कि वे खुद चमत्कार करते हैं।
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